April 16, 2025 3:55 pm

धर्म युक्त कर्म ही सबसे बड़ा कर्म: अनिरुद्धाचार्य

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सिकंदराबाद – नगर के किशन तालाब मंदिर के मैदान पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन धार्मिक और आध्यात्मिक जगत के प्रतिष्ठित कथावाचक अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने आज अपने प्रवचन में “धर्म युक्त कर्म” के महत्व को उजागर किया। उनके अनुसार, व्यक्ति के कर्म तभी सार्थक होते हैं जब वे धर्म के सिद्धांतों के साथ जुड़े हों।
अनिरुद्धाचार्य ने कहा मनुष्य का जीवन कर्मों का संग्रह है, और जब ये कर्म धर्म के मार्ग पर चलते हैं, तो न केवल व्यक्ति बल्कि समाज भी उन्नति की ओर अग्रसर होता है। धर्मयुक्त कर्म का अर्थ है ईमानदारी, सदाचार और लोक कल्याण की भावना के साथ किया गया कार्य।उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि धर्म का वास्तविक स्वरूप केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के दैनिक जीवन और आचरण में परिलक्षित होना चाहिए।

प्रवचन के दौरान, उन्होंने भगवद् गीता के उदाहरणों का हवाला देते हुए समझाया कि भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कर्म और धर्म के महत्व को समझाया था। उन्होंने कहा की अधर्म के कारण ही महाभारत हुई थी। मनुष्य के कर्मों का हिसाब ईश्वर के पास दर्ज है आज नहीं तो कल सूद समेत सबका हिसाब होना है। उन्होंने श्रोताओं को प्रेरित किया कि वे अपने धर्म और कर्म के प्रति निष्ठावान और सजग रहे और कार्यों में ईमानदारी, निष्ठा और सहानुभूति को अपनाएं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भक्तजन और धर्मप्रेमी उपस्थित रहे।कथा के उपरांत श्रद्धालुओं को प्रसाद का वितरण किया गया। कथा का श्रवण करने उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य डॉ हिमानी अग्रवाल भी पहुँचीं। इस मौके पर अंशु शर्मा, पंडित सचिन शर्मा, विपुल गर्ग, अर्चित गोयल, उज्ज्वल गोयल, सौर अग्रवाल, हनी कंसल, वैभव गोयल सहित आयोजन समिति के सभी सदस्य मौजूद रहे।

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